'जैसे रूस और यूक्रेन साथ आ गए हों': उद्धव और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन पर सीएम फडणवीस का तीखा तंज
महाराष्ट्र की राजनीति में अक्सर नाटकीय मोड़ आते रहते हैं, और हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का एक बयान इन अटकलों को और हवा दे गया है। मुख्यमंत्री ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन पर तंज कसते हुए इसे 'जैसे रूस और यूक्रेन साथ आ गए हों' कहकर संबोधित किया है। यह बयान राज्य की राजनीतिक गलियारों में गरमागरम बहस का विषय बन गया है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए।
'जैसे रूस और यूक्रेन साथ आ गए हों', उद्धव और राज ठाकरे के गठबंधन पर बोले सीएम फडणवीस
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
मुंबई, 12 नवंबर, 2025: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक गठबंधन की अटकलों पर टिप्पणी की। उन्होंने इन अटकलों को खारिज करते हुए एक तीखा तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह रूस और यूक्रेन के एक साथ आने जैसा अप्रत्याशित होगा। यह बयान उस समय आया है जब राज्य में आगामी नगर निगम चुनावों और विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
पिछले कुछ समय से उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह और गठबंधन की खबरें मीडिया और राजनीतिक हलकों में घूम रही हैं। दोनों चचेरे भाई, जो बालासाहेब ठाकरे की विरासत के दावेदार रहे हैं, एक दशक से अधिक समय से राजनीतिक रूप से अलग-अलग रास्तों पर चल रहे हैं। राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर मनसे का गठन किया था, जिसके बाद से दोनों के बीच तीखी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता देखी गई है।
'जैसे रूस और यूक्रेन साथ आ गए हों', उद्धव और राज ठाकरे के गठबंधन पर बोले सीएम फडणवीस — प्रमुख बयान और संदर्भ
देवेंद्र फडणवीस का यह बयान एक ऐसे संदर्भ में आया है जहां राज ठाकरे ने हाल ही में उद्धव ठाकरे की माँ मीनाताई ठाकरे की जयंती पर अपने परिवार के साथ उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' का दौरा किया था। इस मुलाकात को राजनीतिक गलियारों में एक संभावित सुलह के संकेत के तौर पर देखा जा रहा था। हालांकि, फडणवीस ने इन अटकलों को 'खयाली पुलाव' बताया। उन्होंने कहा, "अगर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आ गए, तो यह रूस और यूक्रेन के एक साथ आने जैसा होगा। यह इतना असंभव है कि मैं इसे गंभीरता से नहीं लेता।"
मुख्यमंत्री का यह बयान दोनों भाइयों के बीच की ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता और राजनीतिक वैचारिक मतभेदों पर प्रकाश डालता है। राज ठाकरे ने जब शिवसेना छोड़ी थी, तो उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व शैली और पार्टी के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए थे। मनसे का गठन मराठी मानुस के मुद्दे पर हुआ था, लेकिन उसने धीरे-धीरे हिंदुत्व की राजनीति की ओर भी झुकाव दिखाया है, जो अब भाजपा के करीब है। दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के हिस्से के रूप में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन किया है, जिसका वैचारिक आधार मनसे और भाजपा से बिल्कुल अलग है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस का यह बयान न केवल मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के संभावित गठबंधन की अटकलों को कमजोर करने की कोशिश है, बल्कि यह भाजपा की 'महायुति' (जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है) की एकजुटता को भी रेखांकित करता है। भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि ठाकरे परिवार में कोई भी सुलह राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित नहीं कर सकती है। यह बयान भाजपा के उस आत्मविश्वास को भी दर्शाता है कि वह महाराष्ट्र में अपनी स्थिति को मजबूत मानती है, भले ही उद्धव और राज के बीच कोई समझौता हो जाए।
इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि फडणवीस ने दोनों ठाकरे बंधुओं के बीच के कड़वे इतिहास को याद दिलाया है। राज ठाकरे ने अक्सर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं, और दोनों पार्टियों ने कई चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ जमकर प्रचार किया है। हालिया शिवसेना विभाजन के बाद, उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि राज ठाकरे अपनी पार्टी के विस्तार के लिए नए अवसरों की तलाश में हैं। ऐसे में, फडणवीस का बयान इस राजनीतिक जटिलता को और उजागर करता है।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री फडणवीस के बयान के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने फडणवीस के बयान का समर्थन किया है। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, "मुख्यमंत्री ने सही कहा है। ठाकरे परिवार में व्यक्तिगत संबंध हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक विचारधाराओं में भारी अंतर है। उद्धव ठाकरे अब उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व का विरोध किया था।"
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेताओं ने फडणवीस के बयान को 'बेतुका' बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, "फडणवीस को हमारे परिवार और हमारे संबंधों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उद्धव जी और राज जी भाई हैं और परिवार में मिलना स्वाभाविक है। भाजपा को इससे डर लग रहा है क्योंकि वे जानते हैं कि अगर ठाकरे एकजुट हो गए, तो उनकी राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी।" वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, हालांकि कुछ अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व इस बयान को लेकर असहज है। मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने कहा, "परिवार में मुलाकातें होती रहती हैं, राजनीति अलग है। मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर हमें कुछ नहीं कहना।"
महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने फडणवीस के बयान पर निशाना साधा है। एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा, "भाजपा को ठाकरे परिवार की एकता से डर लगता है। फडणवीस ऐसे बयानों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र की जनता जानती है कि कौन अपने फायदे के लिए परिवार को तोड़ता है।" कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "यह भाजपा की अंदरूनी कमजोरी को दर्शाता है कि उन्हें परिवार के रिश्तों पर भी टिप्पणी करनी पड़ रही है। एमवीए एकजुट है और हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे।"
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
उद्धव और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन की अटकलें महाराष्ट्र की राजनीति में गहरे मायने रखती हैं। अगर यह गठबंधन होता है, तो यह मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य शहरी क्षेत्रों में मराठी वोटों को मजबूत कर सकता है, खासकर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों में, जहां ठाकरे परिवार का प्रभाव हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। दोनों भाई अगर एक मंच पर आते हैं तो यह शिवसेना के मूल मतदाताओं और मनसे के मराठी वोट बैंक को फिर से एकजुट कर सकता है, जिससे भाजपा-शिंदे गठबंधन के लिए चुनौती बढ़ सकती है।
हालांकि, इस गठबंधन में कई वैचारिक और व्यावहारिक चुनौतियां भी हैं। उद्धव ठाकरे इस समय कांग्रेस और एनसीपी के साथ हैं, जिनका वैचारिक आधार मनसे के हिंदुत्व और मराठी-राष्ट्रवाद से भिन्न है। ऐसे में, मनसे का एमवीए में शामिल होना या उद्धव का एमवीए से बाहर निकलना, दोनों ही जटिल स्थितियां होंगी। राज ठाकरे का खुद का भाजपा के प्रति झुकाव भी इस समीकरण को और पेचीदा बनाता है। हाल के दिनों में राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा की है, जिससे उनके भाजपा के साथ संभावित गठबंधन की अटकलें भी लगती रही हैं।
मुख्यमंत्री फडणवीस का 'रूस-यूक्रेन' वाला तंज इसी राजनीतिक जटिलता को उजागर करता है। वह यह संदेश देना चाहते हैं कि दोनों भाइयों के बीच की खाई इतनी गहरी है कि इसे पाटना असंभव है। यह बयान भाजपा की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है ताकि उद्धव और राज के समर्थकों के बीच भ्रम पैदा किया जा सके और उन्हें किसी भी संभावित एकता के खिलाफ मोड़ा जा सके। इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि भाजपा नहीं चाहती कि ठाकरे परिवार का कोई भी सदस्य एकजुट होकर उसके खिलाफ एक मजबूत मराठी-हिंदुत्ववादी मोर्चे के रूप में खड़ा हो।
आगामी लोकसभा, विधानसभा और बीएमसी चुनावों को देखते हुए, हर छोटी राजनीतिक हलचल का बड़ा प्रभाव हो सकता है। मुंबई और महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में मराठी वोटों का विभाजन हमेशा एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। यदि ठाकरे बंधु एकजुट होते हैं, तो यह मराठी मतदाताओं को एक मजबूत संदेश दे सकता है और भाजपा की महायुति के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या व्यक्तिगत संबंध राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और वैचारिक मतभेदों पर हावी हो पाते हैं या नहीं।
क्या देखें
- ठाकरे बंधुओं की अगली मुलाकातें: उद्धव और राज ठाकरे के बीच आगे होने वाली किसी भी मुलाकात पर राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया की पैनी नजर रहेगी, क्योंकि ये संभावित सुलह के संकेत दे सकती हैं।
- मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के आधिकारिक बयान: दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं द्वारा इस संबंध में दिए गए किसी भी आधिकारिक बयान या संकेत का विशेष महत्व होगा।
- महा विकास अघाड़ी का रुख: यदि मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के बीच वास्तविक बातचीत आगे बढ़ती है, तो कांग्रेस और एनसीपी जैसे एमवीए के घटक दलों का क्या रुख होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
- भाजपा की जवाबी रणनीति: भाजपा, खासकर देवेंद्र फडणवीस, किसी भी संभावित एकता को कमजोर करने या उसका मुकाबला करने के लिए कौन सी नई रणनीतियाँ अपनाते हैं, इस पर भी नजर रखनी होगी।
- महाराष्ट्र के आगामी चुनावों पर असर: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इस संभावित गठबंधन का वास्तविक जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह सबसे बड़ा कारक होगा।
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का 'रूस-यूक्रेन' वाला बयान महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की जटिलता और अप्रत्याशितता को दर्शाता है। हालांकि, भारतीय राजनीति में 'कुछ भी असंभव नहीं' माना जाता है। व्यक्तिगत संबंधों का राजनीति पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन वैचारिक मतभेद और सत्ता की महत्वाकांक्षाएं अक्सर इन समीकरणों को बदल देती हैं।
आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ठाकरे बंधु फडणवीस के तंज को गलत साबित करते हुए एक साथ आते हैं, या फिर उनकी राजनीतिक राहें अलग-अलग ही रहती हैं। इस बीच, महाराष्ट्र की राजनीति में गठबंधन और प्रतिद्वंद्विता का यह खेल जारी रहेगा, जिससे आगामी चुनावों में मतदाताओं के लिए एक और रोमांचक दौर देखने को मिलेगा। राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर इस बयान का दीर्घकालिक प्रभाव और ठाकरे परिवार की भविष्य की दिशा क्या होगी, यह समय ही बताएगा।
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