खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे जयशंकर: तनाव के बीच मोदी सरकार का बड़ा कूटनीतिक संदेश
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में आए उतार-चढ़ाव के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए ढाका का दौरा करेंगे। यह कदम मोदी सरकार की ओर से बांग्लादेश के विभिन्न राजनीतिक धड़ों के प्रति सद्भावना और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की प्रतिबद्धता का एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में जयशंकर की उपस्थिति: तनाव के बीच भारत का बड़ा कूटनीतिक संकेत
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
नई दिल्ली, 17 नवंबर, 2024: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 18 नवंबर, 2024 को ढाका में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए रवाना होंगे। खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद 15 नवंबर, 2024 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इस दुखद समाचार के बाद, भारत सरकार ने बांग्लादेश के लोगों और दिवंगत नेता के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और बांग्लादेश के बीच विभिन्न मुद्दों पर संबंध थोड़े तनावपूर्ण रहे हैं। जयशंकर की उपस्थिति न केवल एक शोकग्रस्त पड़ोसी देश के प्रति भारत की एकजुटता को दर्शाती है, बल्कि बांग्लादेश के आंतरिक राजनीतिक परिदृश्य में भी भारत की कूटनीतिक पहुंच को रेखांकित करती है। यह घटना द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और भविष्य के सहयोग के लिए नए रास्ते खोलने का एक अवसर प्रदान कर सकती है।
खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे जयशंकर, तनाव के बीच मोदी सरकार का बड़ा संदेश — प्रमुख बयान और संदर्भ
खालिदा जिया बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास की एक प्रमुख शख्सियत थीं, जिन्होंने दो बार देश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह बांग्लादेश के संस्थापक पिता कहे जाने वाले जियाउर रहमान की पत्नी थीं और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की चेयरपर्सन थीं। उनके राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव आए, जिसमें जेल की सजा और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ शामिल थीं। उनके नेतृत्व में बीएनपी ने भारत के साथ कभी-कभी असहज संबंध रखे थे, खासकर सीमा पार घुसपैठ और आतंकवाद के मुद्दों पर।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि विदेश मंत्री जयशंकर इस दुखद अवसर पर व्यक्तिगत रूप से संवेदना व्यक्त करने और बांग्लादेश के साथ भारत के गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए ढाका जा रहे हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार में उपस्थिति नहीं है, बल्कि बांग्लादेश के सभी राजनीतिक वर्गों को यह संदेश देने का प्रयास है कि भारत एक विश्वसनीय पड़ोसी और भागीदार है, चाहे वहां किसी भी दल की सरकार हो।"
वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के संबंध प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के तहत अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं, लेकिन रोहिंग्या संकट, सीमा प्रबंधन और जल बंटवारे जैसे मुद्दों पर कुछ मतभेद कायम हैं। इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश में चीन के बढ़ते आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव को लेकर भी भारत चिंतित रहा है। जयशंकर की यह यात्रा इन जटिलताओं के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संतुलन साधने का प्रयास है, जो भारत की 'पड़ोस पहले' नीति का एक अहम हिस्सा है।
कूटनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में जयशंकर की उपस्थिति बीएनपी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच भारत के प्रति सद्भावना पैदा कर सकती है। बीएनपी लंबे समय से भारत पर अवामी लीग के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप लगाती रही है। ऐसे में, यह कदम भारत की तटस्थता और बांग्लादेश के लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उसके सम्मान को दर्शाता है। यह भविष्य में बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
भारत में, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस कदम को एक परिपक्व कूटनीतिक पहल बताया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "यह भारत की 'पड़ोस पहले' नीति का प्रमाण है। हम अपने पड़ोसियों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने में विश्वास रखते हैं, चाहे राजनीतिक परिदृश्य कुछ भी हो। यह हमारे विदेश मंत्री की दूरदर्शिता और कूटनीति का प्रतीक है।" विपक्षी दलों ने भी आमतौर पर इस निर्णय का समर्थन किया है, हालांकि कुछ ने सवाल उठाया कि क्या यह कदम पहले ही नहीं उठाया जाना चाहिए था जब खालिदा जिया जीवित थीं और भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव था। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "कूटनीति में ऐसे मौके महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन हमें दीर्घकालिक रणनीति पर भी ध्यान देना चाहिए जो तनाव को कम करे, न कि केवल प्रतिक्रियात्मक हो।"
बांग्लादेश में, अवामी लीग सरकार ने जयशंकर की उपस्थिति को भारत के एक स्वाभाविक कूटनीतिक कदम के रूप में देखा है। विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, "हम भारत के विदेश मंत्री की उपस्थिति का स्वागत करते हैं। यह दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से मजबूत संबंधों को दर्शाता है।" हालांकि, बीएनपी ने इस कदम को मिश्रित प्रतिक्रिया के साथ देखा है। बीएनपी के महासचिव ने एक बयान में कहा, "यह एक सकारात्मक संकेत है कि भारत ने हमारी नेता के निधन पर सम्मान व्यक्त किया है। हम उम्मीद करते हैं कि यह दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों में अधिक समझ और सम्मान की ओर ले जाएगा।" कुछ बीएनपी समर्थकों ने इसे देरी से उठाया गया कदम भी बताया है, लेकिन अधिकांश ने इसे भारत से एक सद्भावना संकेत के रूप में सराहा है।
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
जयशंकर की यह यात्रा केवल एक संवेदना यात्रा से कहीं बढ़कर है। यह भारत की 'पड़ोस पहले' नीति के तहत बांग्लादेश के साथ संबंधों को गहरा करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल है। बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में बीएनपी एक महत्वपूर्ण शक्ति रही है, और इस दल के प्रति भारत की ओर से सम्मान का प्रदर्शन भविष्य में किसी भी संभावित सत्ता परिवर्तन की स्थिति में द्विपक्षीय संबंधों को सहज बनाए रखने में मदद कर सकता है। यह भारत को बांग्लादेश के पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में विश्वसनीयता हासिल करने का अवसर देता है।
यह कदम चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत के रणनीतिक हितों के लिए भी महत्वपूर्ण है। चीन बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश कर रहा है, जिससे भारत की क्षेत्रीय शक्ति को चुनौती मिल रही है। जयशंकर की यात्रा बांग्लादेश को यह संदेश देती है कि भारत उसके सभी राजनीतिक धड़ों के साथ संबंध बनाए रखने को तैयार है, जिससे चीन के एकाधिकार को चुनौती दी जा सके। यह रोहिंग्या शरणार्थी संकट और सीमा पार अपराध जैसे साझा चुनौतियों पर भविष्य के सहयोग के लिए एक सकारात्मक माहौल भी बना सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर बढ़ेगा।
यह यात्रा भारत की कूटनीति में एक रणनीतिक बदलाव का भी संकेत है, जहां वह केवल वर्तमान सरकार के साथ ही नहीं, बल्कि विपक्ष के साथ भी संबंध बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। यह दृष्टिकोण दीर्घकालिक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में जयशंकर की उपस्थिति एक छोटा लेकिन प्रतीकात्मक रूप से शक्तिशाली कदम है, जिसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
क्या देखें
- द्विपक्षीय बैठकें: क्या जयशंकर अपनी यात्रा के दौरान बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री से कोई औपचारिक या अनौपचारिक मुलाकात करेंगे, जिससे किसी नए कूटनीतिक संवाद की शुरुआत हो सके।
- बीएनपी का रुख: जयशंकर की यात्रा के बाद बीएनपी भारत के प्रति अपने रुख में कोई बदलाव करती है या नहीं, और क्या यह दोनों देशों के बीच भविष्य की बातचीत के लिए एक सेतु का काम करता है।
- मीडिया कवरेज और सार्वजनिक धारणा: बांग्लादेशी मीडिया और आम जनता इस कूटनीतिक कदम को कैसे देखते हैं, और क्या यह भारत के प्रति सकारात्मक धारणा को मजबूत करता है।
- क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव: इस कदम का क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या व्यापक प्रभाव पड़ता है, खासकर जब चीन और भारत दोनों बांग्लादेश में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहते हैं।
- भविष्य की कूटनीतिक पहलें: क्या यह यात्रा भविष्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों को सामान्य बनाने और साझा चुनौतियों पर सहयोग बढ़ाने के लिए अन्य कूटनीतिक पहलों का मार्ग प्रशस्त करती है।
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उपस्थिति भारत की एक विचारशील और दूरदर्शी कूटनीति का प्रमाण है। यह न केवल बांग्लादेश के एक महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्ति के निधन पर शोक व्यक्त करने का एक मानवीय इशारा है, बल्कि तनाव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और बांग्लादेश के व्यापक राजनीतिक परिदृश्य में भारत की विश्वसनीयता बढ़ाने का एक रणनीतिक प्रयास भी है। यह कदम भारत की 'पड़ोस पहले' नीति को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
आगे चलकर, यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के बीच अधिक खुली और रचनात्मक बातचीत के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। यह उम्मीद की जा रही है कि यह सद्भावना का संकेत दोनों देशों को साझा चुनौतियों का सामना करने और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा। जयशंकर की उपस्थिति भविष्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों की दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी।
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