पाकिस्तान में कंडोम पर क्यों मचा है घमासान, IMF ने खारिज कर दी इस्लामाबाद की मांग, टेंशन में शहबाज
पाकिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट और अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के दोहरे दबाव से जूझ रहा है। इसी बीच, एक ऐसी मांग को लेकर राजनीतिक घमासान मच गया है, जिसका संबंध सीधे तौर पर देश की जनसंख्या नियंत्रण से है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान की एक महत्वपूर्ण मांग को खारिज किए जाने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सरकार पर सवालों के घेरे में आ गई है, और इसका असर देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों पर पड़ने की आशंका है। यह मामला कंडोम जैसे गर्भ निरोधकों के सार्वजनिक वितरण से जुड़ा है, जिस पर IMF ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, जिससे इस्लामाबाद की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पाकिस्तान में कंडोम पर घमासान: IMF का इनकार, शहबाज शरीफ की टेंशन
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
इस्लामाबाद, 21 नवंबर, 2025: पाकिस्तान, अपनी तेजी से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रयासों में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से परिवार नियोजन कार्यक्रमों के लिए विशेष वित्तीय सहायता या लचीलेपन की मांग कर रहा था। इस मांग में कंडोम जैसे गर्भ निरोधकों के बड़े पैमाने पर सार्वजनिक वितरण के लिए बजट आवंटन भी शामिल था। हालांकि, IMF ने अपनी पारंपरिक वित्तीय कठोरता और ऋण शर्तों का हवाला देते हुए इस मांग को खारिज कर दिया है, जिससे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार एक नई मुश्किल में फंस गई है।
IMF का यह रुख ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक अस्थिरता, उच्च मुद्रास्फीति और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा है। इस निर्णय ने न केवल पाकिस्तान के जनसंख्या नियंत्रण प्रयासों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसने देश के भीतर राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच एक तीखी बहस छेड़ दी है, जिसमें सरकार पर दोषारोपण किया जा रहा है।
पाकिस्तान में कंडोम पर क्यों मचा है घमासान, IMF ने खारिज कर दी इस्लामाबाद की मांग, टेंशन में शहबाज — प्रमुख बयान और संदर्भ
पाकिस्तान, दुनिया के पांचवें सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में, जनसंख्या वृद्धि की चुनौती से लंबे समय से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि देश के सीमित संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डाल रही है, जिससे गरीबी, बेरोजगारी और खाद्य असुरक्षा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने की बात कही है, जिसमें गर्भ निरोधकों की पहुंच और जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने IMF से अपने आगामी वित्तीय सहायता पैकेज के तहत परिवार नियोजन पहलों के लिए विशेष खंड या फंडिंग का अनुरोध किया था। पाकिस्तान के योजना आयोग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने IMF से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया था कि जनसंख्या नियंत्रण सीधे आर्थिक स्थिरता से जुड़ा है। गर्भ निरोधकों की आसान उपलब्धता और लोगों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना हमारे आर्थिक सुधारों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि राजस्व संग्रह।” यह मांग विशेष रूप से कंडोम जैसे आधुनिक गर्भ निरोधकों के सब्सिडी वाले वितरण और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन सेवाओं के विस्तार पर केंद्रित थी।
IMF के प्रवक्ता ने इस मामले पर सीधे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन फंड के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि “IMF का प्राथमिक ध्यान वृहद-आर्थिक स्थिरता और वित्तीय अनुशासन पर है। हम सदस्य देशों को उनके सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों के लिए बजट में जगह बनाने के लिए सलाह देते हैं, लेकिन हम विशिष्ट सामाजिक योजनाओं जैसे गर्भ निरोधकों के वितरण के लिए प्रत्यक्ष रूप से फंड आवंटित नहीं करते हैं। इन कार्यक्रमों की फंडिंग देश के अपने संसाधनों और प्राथमिकताओं से होनी चाहिए।” यह बयान पाकिस्तान की सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
पाकिस्तान में कंडोम जैसे गर्भ निरोधकों का सार्वजनिक वितरण एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। एक ओर, कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ और जनसंख्या नियंत्रण कार्यकर्ता इसके बड़े पैमाने पर वितरण की वकालत करते हैं ताकि जन्म दर को कम किया जा सके और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हो सके। दूसरी ओर, कुछ रूढ़िवादी धार्मिक गुट और सामाजिक संगठन आधुनिक गर्भ निरोधकों के उपयोग का विरोध करते हैं, इसे इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ मानते हैं। इस सामाजिक और धार्मिक रूढ़िवादिता के कारण पाकिस्तान में परिवार नियोजन कार्यक्रमों को लागू करना हमेशा से एक चुनौती रहा है।
शहबाज शरीफ सरकार को अब इन दोनों मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है – IMF की कठोर शर्तों को पूरा करना और देश के भीतर जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता को सामाजिक और धार्मिक विरोध के बावजूद आगे बढ़ाना। एक सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, “यह सिर्फ वित्तीय मदद का मुद्दा नहीं है, यह पाकिस्तान के भविष्य का सवाल है। अगर हम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं कर पाए, तो कोई भी आर्थिक पैकेज हमें बचा नहीं पाएगा।” इस घटनाक्रम ने देश के भीतर एक व्यापक बहस छेड़ दी है कि क्या पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक कठोर निर्णय लेने में सक्षम है।
कई रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर अभी भी दक्षिण एशिया में सबसे ऊंची दरों में से एक है। तेजी से बढ़ती आबादी के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छ पानी और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भारी दबाव है। सरकार का यह तर्क है कि यदि IMF जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान इन मूलभूत चुनौतियों को संबोधित करने में सहायता नहीं करते हैं, तो पाकिस्तान के लिए ऋण चुकाना और आर्थिक रूप से स्थिर होना और भी मुश्किल हो जाएगा।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
सत्ताधारी गठबंधन, जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) शामिल हैं, ने IMF के निर्णय पर निराशा व्यक्त की है। PML-N के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “IMF को पाकिस्तान की विशिष्ट चुनौतियों को समझना चाहिए था। जनसंख्या नियंत्रण हमारे आर्थिक अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है और इसे केवल एक सामाजिक मुद्दा नहीं माना जा सकता।” उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार अपनी तरफ से परिवार नियोजन कार्यक्रमों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे IMF का समर्थन हो या न हो।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) जैसे विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। PTI के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह सरकार IMF को अपनी जरूरतों के बारे में समझाने में भी विफल रही है। यह उनकी अक्षमता का प्रमाण है कि वे देश के सबसे बुनियादी मुद्दों पर भी अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल नहीं कर पा रहे हैं। शहबाज सरकार सिर्फ उधार लेने में लगी है, लेकिन जनता की असली समस्याओं का समाधान करने में नाकाम है।” कुछ विपक्षी नेताओं ने कंडोम के सार्वजनिक वितरण की मांग को लेकर धार्मिक संवेदनशीलता का भी हवाला दिया है, और सरकार पर 'पश्चिमी एजेंडा' थोपने का आरोप लगाया है।
जामात-ए-इस्लामी जैसे धार्मिक राजनीतिक दलों ने सरकार की इस मांग पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। उनके नेताओं ने कहा कि, “इस्लाम परिवार नियोजन को कुछ शर्तों के साथ स्वीकार करता है, लेकिन कंडोम के बड़े पैमाने पर सार्वजनिक वितरण को प्रोत्साहित करना हमारी संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के खिलाफ है। सरकार को इन पश्चिमी विचारों को हम पर थोपने के बजाय इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार समाधान ढूंढना चाहिए।” इस तरह के विरोध ने सरकार के लिए एक और चुनौती खड़ी कर दी है।
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
IMF द्वारा पाकिस्तान की कंडोम वितरण संबंधी मांग को खारिज करना शहबाज शरीफ सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक और आर्थिक झटका है। यह घटना सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ अपने संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर पा रही है या नहीं। यह दर्शाता है कि IMF, जो पहले से ही पाकिस्तान को कई कड़े ऋण शर्तों के तहत वित्तीय सहायता दे रहा है, अब सामाजिक क्षेत्र के लिए भी कोई अतिरिक्त रियायत देने के मूड में नहीं है।
आर्थिक मोर्चे पर, यह निर्णय पाकिस्तान की जनसंख्या नियंत्रण रणनीतियों को कमजोर कर सकता है। अगर सरकार को परिवार नियोजन कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त धन नहीं मिलता है, तो देश की जन्म दर और बढ़ सकती है, जिससे मौजूदा आर्थिक संकट और गहरा जाएगा। अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ता है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। यह सरकार की आर्थिक नीतियों की दीर्घकालिक स्थिरता पर भी सवाल खड़ा करता है।
सामाजिक रूप से, यह घटना पाकिस्तान में परिवार नियोजन के इर्द-गिर्द के रूढ़िवादी और आधुनिक विचारों के बीच की खाई को उजागर करती है। सरकार को अब एक नाजुक संतुलन साधना होगा – एक तरफ बढ़ती जनसंख्या की गंभीर चुनौती को स्वीकार करना और दूसरी तरफ धार्मिक और सामाजिक रूढ़िवादिता का सामना करना। इस विवाद के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि गर्भ निरोधकों की सीमित पहुंच उन्हें अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने से रोक सकती है।
राजनीतिक रूप से, यह विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का एक और मौका देता है। PTI और अन्य समूह सरकार पर अक्षमता और अलोकप्रिय नीतियों को थोपने का आरोप लगाएंगे। शहबाज शरीफ को अब यह दिखाना होगा कि वह IMF की कठोर शर्तों को पूरा करते हुए भी देश की सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं, विशेष रूप से जनसंख्या नियंत्रण जैसी संवेदनशील नीतियों को कैसे आगे बढ़ाएंगे। यह मामला पाकिस्तान की भविष्य की दिशा के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है।
क्या देखें
- सरकार की वैकल्पिक फंडिंग योजना: क्या पाकिस्तान सरकार परिवार नियोजन कार्यक्रमों के लिए घरेलू संसाधनों या अन्य अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं से फंडिंग जुटाने में सफल होगी।
- जनसंख्या नियंत्रण नीति का पुनर्गठन: क्या सरकार अपनी जनसंख्या नियंत्रण नीति को धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए संशोधित करेगी, जिससे इसे अधिक स्वीकार्य बनाया जा सके।
- IMF के साथ आगे की बातचीत: क्या पाकिस्तान IMF से अन्य माध्यमों से सामाजिक क्षेत्र के लिए अधिक लचीलेपन या सहायता के लिए बातचीत जारी रखेगा।
- विपक्षी दलों का दबाव: विपक्षी दल इस मुद्दे को कितना आगे बढ़ाते हैं और क्या यह आगामी चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा बन पाता है।
- सार्वजनिक जागरूकता अभियान: सरकार और स्वास्थ्य संगठन परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए क्या नए अभियान शुरू करते हैं।
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
पाकिस्तान में कंडोम वितरण पर IMF का इनकार और उससे उपजा घमासान केवल एक गर्भ निरोधक के बारे में नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के व्यापक आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक संकट का प्रतीक है। शहबाज शरीफ सरकार के लिए यह एक बहुआयामी चुनौती है, जिसमें उसे एक तरफ IMF की कठोर शर्तों का पालन करना है और दूसरी तरफ देश की तीव्र जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जबकि धार्मिक और सामाजिक रूढ़िवादिता का भी सामना करना है।
आगे चलकर, पाकिस्तान को अपनी जनसंख्या नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक दूरदर्शी और समावेशी रणनीति अपनानी होगी। यह केवल वित्तीय सहायता का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक स्वीकृति और राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी है। यदि इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान नहीं किया जाता है, तो देश की आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं, जिससे शहबाज शरीफ सरकार पर दबाव और बढ़ेगा।
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