LIVE: 'वोट चोरी' पर कांग्रेस की रामलीला मैदान में महारैली, बीजेपी बोली- SIR पर भ्रम ना फैलाएं राहुल गांधी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आज कांग्रेस पार्टी ने 'वोट चोरी' के आरोपों को लेकर एक विशाल महारैली का आयोजन किया। पार्टी का दावा है कि हालिया चुनावों में 'लोकतंत्र की हत्या' हुई है और मतगणना प्रक्रियाओं में गड़बड़ी की गई है। इस रैली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया, जिन्होंने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। यह महारैली आगामी राजनीतिक परिदृश्य के लिए कांग्रेस के आक्रामक रुख का संकेत मानी जा रही है।
दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की 'वोट चोरी' पर महारैली: सियासी घमासान तेज
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
नई दिल्ली, 10 नवंबर, 2025: कांग्रेस पार्टी ने आज दिल्ली के रामलीला मैदान में 'जनतंत्र बचाओ, वोट चोरी रोको' शीर्षक से एक विशाल महारैली का आयोजन किया। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए। यह रैली हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनावों से पहले, निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के पार्टी के अभियान का हिस्सा थी।
रैली का मुख्य उद्देश्य कथित 'वोट चोरी' और 'निर्वाचन प्रणाली की अखंडता पर हमलों' को उजागर करना था। कांग्रेस नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के उपयोग, मतगणना में देरी, और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस के आरोपों को 'निराधार' बताते हुए पलटवार किया और राहुल गांधी से 'स्वतंत्र निर्वाचन प्रणाली' (SIR) पर भ्रम न फैलाने का आग्रह किया।
LIVE: 'वोट चोरी' पर कांग्रेस की रामलीला मैदान में महारैली, बीजेपी बोली- SIR पर भ्रम ना फैलाएं राहुल गांधी — प्रमुख बयान और संदर्भ
रामलीला मैदान में अपने संबोधन में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र इस देश की नींव है, और आज उस नींव पर हमला हो रहा है। हम चुनाव में खड़े होते हैं, हम वोट डालते हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि वोटिंग मशीन में क्या हो रहा है। हमारी शिकायत है कि 'वोट चोरी' की जा रही है और भाजपा इस खेल में शामिल है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं पर भी दबाव बनाया जा रहा है, जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल हो गया है। राहुल गांधी ने 'वोट चोरी' को भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और कहा कि कांग्रेस देश के हर नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने भाषण में कहा, "आज हम सब मिलकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए यहाँ इकट्ठा हुए हैं। भाजपा सरकार ईडी, सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करके विपक्ष को कमजोर कर रही है। अब तो वे 'वोट चोरी' पर भी उतर आए हैं, जो सीधे जनता के जनादेश का अपमान है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस लड़ाई को सड़क से संसद तक लड़ेगी और जनता को सच्चाई से अवगत कराएगी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि, “जनता का विश्वास ही लोकतंत्र की असली ताकत है, और अगर उस विश्वास को कमजोर किया गया, तो देश कमजोर होगा।”
दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "कांग्रेस पार्टी अपनी हार को पचा नहीं पा रही है और इसीलिए वह निर्वाचन प्रणाली पर झूठे आरोप लगा रही है। राहुल गांधी को 'स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन प्रणाली' (SIR) पर भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। हमारी चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी और विश्व स्तर पर प्रशंसित है।" उन्होंने कांग्रेस से अपनी आंतरिक विफलताओं पर आत्मनिरीक्षण करने और 'फर्जी आरोप' लगाने से बचने का आग्रह किया।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जब कांग्रेस जीतती है, तब EVM सही होती है, लेकिन जब हार जाती है, तो EVM खराब हो जाती है। यह कांग्रेस की पुरानी आदत है। उन्हें देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए।" बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हताशा में ऐसे बयान दे रही है, क्योंकि वह जनता का जनादेश स्वीकार नहीं कर पा रही है। इस राजनीतिक खींचतान से यह स्पष्ट है कि आगामी चुनावों में 'निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता' एक प्रमुख मुद्दा बनी रहेगी।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी के नेता एकजुट होकर 'वोट चोरी' के आरोपों को आगे बढ़ा रहे हैं। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, "रामलीला मैदान की यह विशाल भीड़ भाजपा के झूठ और निर्वाचन आयोग की निष्क्रियता के खिलाफ जनता का गुस्सा दर्शाती है। हम लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लड़ते रहेंगे।" कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने भी अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के इन आरोपों का समर्थन किया है, हालांकि सीधे तौर पर EVM पर सवाल उठाने से बचते रहे हैं।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के आरोपों को 'हार की हताशा' बताया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है। दुनिया भर में भारत के चुनावों की पारदर्शिता की तारीफ होती है, लेकिन कांग्रेस अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश को बदनाम कर रही है।" उन्होंने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता का बचाव किया और कांग्रेस को सलाह दी कि वह 'आधारहीन आरोपों' के बजाय रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए।
कुछ अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सावधानीपूर्वक प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "लोकतंत्र में जनता का विश्वास सर्वोपरि है। अगर किसी भी प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं, तो उनका समाधान होना चाहिए।" उन्होंने सीधे तौर पर 'वोट चोरी' का आरोप नहीं लगाया, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की वकालत की। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी EVM के कुछ पहलुओं पर सवाल उठाए हैं और 'बैलेट पेपर' से चुनाव कराने की मांग की है।
निर्वाचन आयोग ने अपनी ओर से कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अतीत में आयोग ने EVM की विश्वसनीयता पर बार-बार जोर दिया है और सभी आरोपों को खारिज किया है। आयोग का कहना है कि EVM फुलप्रूफ हैं और इनमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं है। उन्होंने राजनीतिक दलों से प्रमाण के साथ शिकायतें दर्ज कराने का भी आग्रह किया है, जिसका वे हमेशा से जवाब देते रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
कांग्रेस की यह महारैली आगामी राजनीतिक रणभूमि के लिए पार्टी के आक्रामक तेवरों को दर्शाती है। 'वोट चोरी' का आरोप एक ऐसा मुद्दा है जो सीधे तौर पर जनता के विश्वास से जुड़ा है, और कांग्रेस इस मुद्दे को उठाकर मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाना चाहती है। यह रणनीति बीजेपी सरकार पर दबाव बनाने और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के लिए अपनाई गई है। अगर यह मुद्दा जनता के बीच स्वीकार्यता प्राप्त करता है, तो इसका असर आगामी लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।
हालांकि, बीजेपी के लिए भी यह एक संवेदनशील मुद्दा है। सत्ताधारी दल होने के नाते, निर्वाचन प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। 'SIR' (स्वतंत्र निर्वाचन प्रणाली) पर भ्रम न फैलाने का उनका बयान यह दर्शाता है कि वे इन आरोपों को हल्के में नहीं ले रहे हैं और इसका सीधा खंडन करना चाहते हैं। बीजेपी की कोशिश होगी कि वह इन आरोपों को कांग्रेस की 'हार की हताशा' और 'राजनीतिक लाभ' के रूप में पेश करे, ताकि जनता का ध्यान मूल मुद्दों से न भटके।
इस रैली का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह विपक्षी एकता को कितनी मजबूती प्रदान करती है। हालांकि कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर समान विचार व्यक्त किए हैं, लेकिन एक साझा मंच पर आकर लड़ने की उनकी क्षमता अभी भी सवालों के घेरे में है। अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने में सफल होती है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अन्यथा, यह सिर्फ कांग्रेस का अपना अभियान बनकर रह सकता है, जिसका सीमित प्रभाव होगा।
कुल मिलाकर, यह रैली भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रही है, जिसमें निर्वाचन प्रणाली की शुचिता और पारदर्शिता केंद्रीय विषय बन गए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बहस कितनी दूर तक जाती है और क्या यह आगामी चुनावों में एक निर्णायक कारक बन पाती है। दोनों प्रमुख दल, कांग्रेस और भाजपा, इस मुद्दे पर अपनी-अपनी दलीलों के साथ मतदाताओं के सामने प्रस्तुत होंगे, और जनता का जनादेश ही अंततः तय करेगा कि किसका पलड़ा भारी है।
क्या देखें
- निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया: क्या चुनाव आयोग कांग्रेस के आरोपों पर कोई विस्तृत बयान जारी करता है या कोई नई पारदर्शिता पहल शुरू करता है।
- अदालती हस्तक्षेप: क्या कांग्रेस या कोई अन्य संगठन 'वोट चोरी' के आरोपों को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है, और अदालतों की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है।
- विपक्षी एकता: क्या अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ एक मजबूत मोर्चा बनाते हैं, और क्या यह लोकसभा चुनाव से पहले एक साझा रणनीति का आधार बनता है।
- जनता की राय: मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया पर बहस के माध्यम से जनता इस मुद्दे को कैसे लेती है, और क्या यह आम मतदाता की धारणा को प्रभावित करता है।
- भाजपा की रणनीति: भाजपा कांग्रेस के इन आरोपों का मुकाबला करने के लिए अपनी रणनीति में क्या बदलाव करती है और क्या वे निर्वाचन प्रणाली की विश्वसनीयता साबित करने के लिए नए तर्क प्रस्तुत करते हैं।
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
रामलीला मैदान में कांग्रेस की महारैली ने 'वोट चोरी' और निर्वाचन प्रणाली की विश्वसनीयता के मुद्दे को फिर से राजनीतिक चर्चा के केंद्र में ला दिया है। यह मुद्दा, विशेष रूप से आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने और मतदाताओं के बीच विश्वास जगाने की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी अपनी सरकार की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को साबित करने का प्रयास करेगी।
यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितना सफल होता है और क्या यह वास्तव में मतदाताओं की राय को प्रभावित कर पाता है। भारतीय लोकतंत्र की ताकत हमेशा से उसकी निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया में रही है। इस पर किसी भी तरह के संदेह का समाधान होना आवश्यक है, ताकि जनता का विश्वास बना रहे। आगे की संभावनाएँ इस बात पर निर्भर करेंगी कि राजनीतिक दल इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं, और निर्वाचन आयोग तथा न्यायपालिका इस पर क्या रुख अपनाते हैं।
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