Thorium in India: Bharat Ki Nuclear Shakti Ka Asli Khazana
Thorium: Bharat Ki Nuclear Shakti Ka Asli Khazana
होमी भाभा ने 1950s में कहा था, "No power is constlier than no power" – और Thorium ही वो शक्ति है जो भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है। हमारे देश में Uranium बहुत कम मात्रा में है परन्तु Thorium का भंडार बहत ज्यादा है, जो हजारों सालों तक उर्जा दे सकता है। इस लेख में हम Thorium की विशेषता, इतिहास और, भारत में इसकी उपलभ्दता, डॉ होमी जहांगीर भाभा और उनका योगदान और Three Stage Nuclear Programme of India के बारे में जानेंगे।
Thorium की खोज और गुण
Thorium की खोज Swedish रसायनशास्त्र के वैज्ञानिक Jöns Jacob Berzelius नें सन 1829 में की थी, और Norse God Thor के नाम इसका नाम Thorium रखा गया। ये एक चमकीली सफ़ेद धातु है, इसका परमाणु क्रमांक 90 है, जमीन के भीतर Uranium से 3-4 गुना ज्यादा मात्रा में उपलब्ध है। इसका वैश्विक भंडार 6-16 मिलियन टन है, परन्तु Thorium मुख्यतः Monazite खनिज (Thorium फोस्फेट) के रूप में मिलता है, समुद्र किनारे की रेत में होता है। Thorium-232(Th-232) इसका मुख्य isotop है जो firtile है–मतलब ये न्यूट्रॉन को अवशोषित करके Protactinium-233 बनाता है, और Protactinium-233 beta decay से Uranium-233(U-233) में परिवर्तित हो जाता है। Uranium-233(U-233) की खास बात ये है की इसका नाभिकीय विखंडन किया जा सकता है।
- गुण: उच्च गलनांक (1750°C), घनत्व 11.7 ग्राम/सेमी³, और ये हवा में स्थिर है, लेकिन हवा में इसका धीरे-धीरे ऑक्सीकरण होता रहता है। Thorium का breeding अनुपात बहुत ज्यादा है क्योंकि 1 टन Thorium से लगभग 200 टन Uranium जितनी उर्जा मिल सकती है। Thorium भारत के लिए बिलकुल सही है क्योंकि भारत पास दुनिया का सबसे बड़ा Thorium भंडारन है – 846,000 से 1.07 मिलियन टन, जो पुरे विश्व का 22-25% है। यह मुख्यतः केरल (चावरा, मनावलाकुरिची - 9,900 टन Thorium के साथ ~125,000 टन monazite), ओडिशा (छत्रपुर), तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम), पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, राजस्थान में पाया जाता है। जिसका उत्खनन Indian Rare Earth LTD (IREL) करता है।
होमी भाभा का योगदान और Nuclear Programme की नीव :
होमी भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को भारत के मुंबई में हुआ था। होमी भाभा ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से यांत्रिक विज्ञानं और भौतिक विज्ञानं की पढाई की और 1933 में Cosmic Rays पर PhD की। पढाई समाप्त होने के बाद वो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत वापस आयें और 1945 में Tata Institute of Fundamental Research (TIFR) की स्थापना की जो आगे चलकर Nuclear Phisycs का केंद्र बना। भारत में 1948 में Atomic Energy Commission (AEC) हुआ जिसका चेयरमैन होमी भाभा को बनाया गया । 1948 में भाभा ने Atomic Energy Establishment Trombay की स्थापना की जिसे अब Bhabha Atomic Research Centre - BARC के नाम से जाना जाता है । होमी भाभा ने 1956 में APSARA reactor, 1960 में CIRUS reactor और 1969 में Tarapur Power Plant बनाया।
भाभा ने देखा की भारत के पास Ureniam सिर्फ 70,000 टन है, जबकि Thorium 5,00,000+ टन से ज्यादा है। इसलिए उन्होंने Thoriam reactor बनाने पे ज्यादा ध्यान दिया। "The major fraction of nuclear power will come from thorium breeders." - होमी भाभा । 1955 में होमी भाभा को Geneva सम्मलेन का अध्यक्ष बनाया गया । 24 जनवरी 1996 को विमान दुर्घटना में डॉ होमी जहांगीर भाभा का दुखद निधन हो गया।
भारत का Three Stage Nuclear Programme: विस्तृत विवरण, समय-सीमा और चुनौतियाँ
1950 में होमी भाभा ने Three Stage Nuclear Programme की नीव रखी जिसका उद्देश्य पहले Uranium, फिर Plutonium और अंत में Thorium से बिजली बनाना था । इस Programme को 1958 में भारत सरकार ने भी अपना लिया।
Stage 1: Pressurized Heavy Water Reactors (PHWRs):
इसमें Pressurized Heavy Water Reactors(PHWRs) का उपयोग करके बिजली का निर्माण किया जाता है। जिसमे Uranium(U-238) को Uranium(U-235) में बदल जाता है और Plutonium-239(Pu-239) उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। 1960 से आज तक इन रेअक्टारों उपयोग होता है जैसे : राजस्थान(RAPS 1-8) Kakrapar, Madras(MAPS) । इसमें 220 MWe नरोरा, 540 MWe तारापुर, 700 MWe काकरापार 3,4 जैसे reactor IPHWR (Indian Pressurized Heavy Water Reactors) स्वदेशी है जो भारत द्वारा बनाये गए हैं । भारत का उद्देश्य लगभग 10 GW बिजली का निर्माण करना है। पर इसमें कुछ चुनौतियाँ हैं क्योकि यह reactor Uranium(238) पर काम करता और जैस की हमने बताया की भारत में Uranium बहुत कम है लगभग 5.5 मिलियन टन । परन्तु इस समस्या का हल हो चूका है क्यूंकि 1990 से ही हमने Plutonium-239 का उपयोग करना शुरु कर दिया है ।
Stage 2: Fast Breeder Reactors (FBRs):
Fast Breeder Reactor में Plutonium-239(Pu-239) का उपयोग करके Thorium की मदद से बिजली बनाई जाती है। इसका Breeding अनुपात >1 है अर्थात इस reactor में fule(Pu-239) multiply होता है और उत्पाद के रूप में हमें फिर से Plutonium-239(Pu-239) और Uranium-233(U-233) मिलता है। इसका prototype FBTR(Fast Breeding Test Reactor) Kalpakkam में है जिसे 1985 में बनाया गया था और 2022 में इसे mixed carbide fule से चलने वाला reactor बना दिया गया। Prototype Fast Breeder Reactor 2004 में बनाना शुरु हुआ था पर अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है । आशा यह है की सितम्बर 2026 में यह बनकर तैयार हो जायेगा । Fast Breeding Reactor की चुनौती यह है की इसे ठंढा रखना बहुत खर्चीला है। इसे ठंडा रखने में अब तक 6,800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसे ठंडा रखने ले लिए सोडियम का उपयोग किया जाता है और सोडियम बहुत जल्दी आग पकड़ता है। इसका संस्करण बहुत जटिल है। 1974 के परमाणु परिक्षण के बाद भारत के ऊपर इसे लेकर अंतररास्ट्रीय प्रतिबन्ध है।
Stage 3: Thorium-Based Advanced Heavy Water Reactors (AHWRs):
इस reactor में U-233 और thorium का उपयोग होता है। Advanced Heavy Water Reactor(AHWR) को तारापुर या BARC में कहीं बनाया जायेगा। जो 300MWe बिजली प्रदान करेगा। KAMINI reactor विश्व का एक मात्र Advanced Heavy Water Reactor है जो U-233 से चलता है जो Kalakappam में स्थित है और 30 kWt उर्जा उत्सर्जित करता है और यही पर इसके द्वारा उत्सर्जित किरणों पर अनुसन्धान होता है। अभी यह reactor testing फेस में है आसा है की यह 2050 तक तैयार हो जायेगा।
आज 2025 में भारत का परमाणु कार्यक्रम: वर्तमान स्थिति और लक्ष्य:
आज भारत के 8 परमाणु संयंत्रों में 25 reactor कार्यरत हैं कुल मिलाकर इनकी क्षमता 8.88 GW है । 6 reactor निर्माणाधीन हैं और 10 को मंजूरी दे दी गई है। इस हिसाब कुल क्षमता 13 GW और बढ़ जाएगी। Fats Breeder Reactors को 2024 से fule किया जा रहा है जो 2026 तक शुरू हो जायंगे। जो Thorium से U-233 का निर्माण करेगा। AHWR का ढांचा तैयार है जिसका उद्देश्य है 2047 तक 100GW बिजली पैदा करना।
Thorium Vs Uranium: फायदे और नुकसान:
Thorium का फायदा यह है की यह Uranium से 4 गुना ज्यादा धरती पर उपलब्ध जिसका 25% भारत में उपलब्ध है। Thorium में Uranium की अपेक्षा का रडियो एक्टिव waste निकलता है और उस waste की आयु भी Uranium waste की आयु से सौ गुना कम होती है। यह ज्यादा सुरक्षित है क्यूंकि इसके reactor में molten salt का उपयोग होता है जिसके कारण reactor ठंडा रहता है और विकिरण प्रसारित नहीं होती। 1 टन Thorium से लगभग 200 टन Uranium जितनी उर्जा प्राप्त की जा सकती है। नुकसान यह की इसमें खर्चा बहुत ज्यादा है। और Uranium बहुत सीमित मात्रा में उपलब्ध है।
विश्व स्तर पर Thorium पर अनुसंधान : चीन, अमेरिका और नॉर्वे से तुलना:
पूरी दुनियां में Thorium पर अनुसंधान चल रहा है। जिसमे चीन सबसे आगे है, चीन में TMSR-LF1 जो molten salt reactor है जो 2023 से शुरु किया गया है और अप्रैल 2025 में इसे बिना रोके refule कर दिया गया है - इसे अमेरिका के पुराने design से बनाया गया है। 2030 से इसे commerical तरीके से उपयोग किया जायेगा। अमेरिका का कोई नया अनुसंधान नहीं है इसपर पर 1960 के ORNL MSR को अब private कर दिया गया है। नॉर्वे के Thor Energy के पास भी testing thorium-MOX है। भारत Thorium के मामले में विश्वगुरु है पर इसकी गति थोड़ी धीरे है।
Conclusion: Thorium Se Superpower
डॉ होमी जहांगीर भाभा का Three Stage Nuclear Programme भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहा है। परन्तु हमें गति और बढ़नी होगी हमें अनुसंधानों पर और निवेश करना होगा। जिससे इसमें देर न हो।
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