दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भव्य स्वागत, पीएम मोदी ने स्वयं अगवानी की
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं दिल्ली हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करके भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत किया। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और भारत और रूस के बीच सहयोग पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भव्य स्वागत, पीएम मोदी ने स्वयं अगवानी की
घटना का सारांश — कौन, क्या, कब, कहाँ
नई दिल्ली, 14 नवंबर, 2025: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हवाई अड्डे पर उनका व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया। यह दौरा दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा है और इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना है।
यह यात्रा नई दिल्ली में हो रही है, जहां दोनों नेता विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिनमें व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और क्षेत्रीय सुरक्षा शामिल हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है, जो भारत और रूस के बीच सहयोग के नए क्षेत्रों को खोलेंगे।
दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, पीएम मोदी ने ख़ुद किया रिसीव — प्रमुख बयान और संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और रूस के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी अटूट है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को और अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और दोनों देश मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी भारत के साथ रूस के संबंधों को बहुत महत्व दिया और कहा कि भारत रूस का एक विश्वसनीय और महत्वपूर्ण भागीदार है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ रहा है और रूस भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करने के लिए उत्सुक है।
शिखर सम्मेलन के दौरान, दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में स्थिति पर भी चर्चा की और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में व्यापक रूप से सराहा गया है। कई देशों ने भारत और रूस के बीच मजबूत संबंधों को क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
हालांकि, कुछ पश्चिमी देशों ने भारत के रूस के साथ संबंधों पर चिंता व्यक्त की है और भारत से रूस पर यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने के लिए दबाव डालने का आग्रह किया है।
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी विदेश नीति को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्धारित करने का अधिकार है और भारत और रूस के बीच संबंध दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं। उनका यह भी मानना है कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों का उपयोग क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को हल करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषण / प्रभाव और मायने
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह भारत और रूस के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि करती है। दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे घनिष्ठ संबंध हैं, जो रक्षा, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस पश्चिमी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों का सामना कर रहा है, और भारत के साथ मजबूत संबंध रूस के लिए महत्वपूर्ण हैं।
दूसरे, यह यात्रा भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है और दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सहयोग है। भारत रूस से तेल और गैस का आयात करता है, और दोनों देश मिलकर परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं। भारत के लिए रूस के साथ मजबूत संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, खासकर अफगानिस्तान और मध्य एशिया में।
तीसरा, यह यात्रा वैश्विक राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत और रूस दोनों ही बहुध्रुवीय दुनिया के समर्थक हैं, जिसमें कई प्रमुख शक्तियां शामिल हैं। दोनों देश पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाली दुनिया के खिलाफ एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है, और भारत और रूस के बीच सहयोग वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इससे पता चलता है कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वतंत्र रुख अपनाता है और किसी भी दबाव में नहीं आता है।
क्या देखें
- रक्षा सौदे: क्या भारत और रूस के बीच कोई नए रक्षा सौदे होते हैं? S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति पर भी नजर रहेगी।
- ऊर्जा सहयोग: क्या दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कोई समझौते करते हैं?
- अफगानिस्तान: अफगानिस्तान की स्थिति पर दोनों देशों के बीच क्या सहमति बनती है?
- पश्चिमी प्रतिक्रिया: पश्चिमी देश इस यात्रा पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? क्या वे भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों को कम करने के लिए दबाव डालते हैं?
- संयुक्त बयान: यात्रा के अंत में जारी किए गए संयुक्त बयान में क्या महत्वपूर्ण बातें शामिल होती हैं?
निष्कर्ष — आगे की संभावनाएँ
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है और यह यात्रा दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।
आगे देखते हुए, भारत और रूस के बीच संबंधों में और अधिक विकास की संभावना है। दोनों देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में मिलकर काम करने की जरूरत है, और दोनों देशों के बीच सहयोग बहुध्रुवीय दुनिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह यात्रा यह भी दर्शाती है कि भारत अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से तय करने में सक्षम है और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है।
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